Shashi Kapoor:शशि कपूर birthday celebration today
शशि कपूर: हिंदी सिनेमा के आकर्षक सितारे का जन्मदिन
“मुझे चाहिए एक खूबसूरत दुनिया, जहाँ प्यार ही प्यार हो।”
हिंदी सिनेमा के सबसे आकर्षक और रोमांटिक अभिनेताओं में से एक, शशि कपूर का जन्म 18 मार्च 1938 को हुआ था। उनके अभिनय, व्यक्तित्व और सादगी ने भारतीय सिनेमा में एक अलग छाप छोड़ी। आज उनके जन्मदिन के मौके पर हम उनके जीवन, परंपरा और योगदान को याद करते हैं।
शशि कपूर: बचपन और फिल्मी सफर
शशि कपूर का असली नाम बलबीर राज कपूर था। वे हिंदी सिनेमा के मशहूर कपूर खानदान से शेयरधारक थे। उनके पिता पृथ्वीराज कपूर, बड़े भाई राज कपूर और शम्मी कपूर पहले से ही फिल्म इंडस्ट्री में प्रतिष्ठित नाम थे।
शशि कपूर ने अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने 1948 में ‘आग’ और 1951 में ‘आवारा’ जैसी फिल्मों में छोटे राज कपूर की भूमिका निभाई। लेकिन मुख्य अभिनेता के रूप में उनका पहला ब्रेक 1961 में फिल्म ‘धर्मपुत्र’ से मिला।
रोमांटिक हीरो से लेकर गंभीर कलाकार तक
शशि कपूर अपने सबसे खूबसूरत और स्टाइलिश एक्टर्स में गिने जाते थे। उनके मुसब्बर और चार्म ने लाखों लड़ाइयाँ जीतीं। 60 और 70 के दशक में वे रोमांटिक हीरो के रूप में जाने गए और उनकी हिट फिल्मों की लंबी लिस्ट है, जिनमें शामिल हैं:
‘जब जब फूल खिले’ (1965) – ‘परदेसियों से ना अंखियां मिलाना’ आज भी सुपरहिट गाना है।
‘शर्मीली’ (1971) – राखी के साथ उनकी जोड़ी खूब पसंद की गई।
‘चोर मचाए शोर’ (1974) – ‘ले जाएंगे, ले जाएंगे’ आज भी नए सिरे से बजता है।
‘कभी-कभी’ (1976) – यश चोपड़ा की इस फिल्म में उनका अभिनय यादगार रहा।
‘त्रिशूल’ (1978) और ‘सत्यम शिवम सुंदरम’ (1978) जैसी फिल्मों में वे अलग-अलग किरदारों में नजर आए।
80 के दशक में उन्होंने कई मल्टीस्टारर फिल्मों में काम किया और अमिताभ बच्चन के साथ उनकी जोड़ी सुपरहिट रही। दोनों ने ‘दीवार’ (1975), ‘सुहाग’ (1979), ‘काला पत्थर’ (1979), ‘शान’ (1980), और ‘नमक हलाल’ (1982) जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में बनाईं।
अंतर्राष्ट्रीय सिनेमा और पृथ्वी थिएटर
शशि कपूर ने सिर्फ बॉलीवुड में ही नहीं, बल्कि इंटरनेशनल सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई। उन्होंने कई अंग्रेजी फिल्मों में काम किया, जिनमें ‘डी हाउस होल्डर’ (1963), ‘शेक्सपियर वाला’ (1965) और ‘हेट एंड डस्ट’ (1983) प्रमुख हैं।
इसके अलावा, वे पूरे थिएटर से भी जुड़े रहे और अपने पिता के सपने को देखते हुए ‘पृथ्वी थिएटर’ की स्थापना की, जो आज भी नाट्य प्रेमियों के लिए एक महत्वपूर्ण स्थान है।
Shashi Kapoor
पुरस्कार और सम्मान
शशि कपूर को उनके अद्भुत योगदान के लिए कई पुरस्कार मिले:
1986 – फ़िल्म ‘न्यू दिल्ली टाइम्स’ को राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार (सर्वश्रेष्ठ अभिनेता) के लिए
2011 – हिंदी सिनेमा में फिल्म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट रिकॉर्ड्स के लिए योगदान
2015 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार, जो भारतीय सिनेमा का सबसे बड़ा सम्मान है।
शशि कपूर की विरासत
शशि कपूर सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे, बल्कि एक सात्विक कलाकार और अच्छे इंसान भी थे। 4 दिसंबर 2017 को वे इस दुनिया में चले गए, लेकिन उनकी फिल्में, डायलॉग्स और अभिनय के जरिए वे हमेशा हमारे साथियों में बने रहे।
उनकी प्रसिद्ध लड़ियाँ –
“मेरे पास माँ है!”
आज भी हिंदी सिनेमा के सबसे यादगार डायलॉग्स में से एक है।
निष्कर्ष
शशि कपूर का जीवन और साहस हमें सिखाया जाता है कि सच्ची सफलता सिर्फ ग्लैमर में नहीं, बल्कि अपने काम और कर्तव्य के प्रति सच्ची निष्ठा में है। उनके जन्मदिन पर हम उन्हें श्रद्धांजली देते हैं और उनकी फिल्में याद करते हैं।