India Pakistan war : “जियो और जीने दो भारत-पाकिस्तान के रिश्ते में यह क्या है?”
India Pakistan war
“जियो और जीने दो” – एक सीधा-सादा लेकिन गहरा संदेश, जो इंसानियत की बुनियाद है। यह विचार हमें सिखाता है कि हम खुद भी शांति से जिएं और छात्रों को भी चेन से जिएं। लेकिन जब बात भारत और पाकिस्तान जैसे दो पड़ोसी देशों की होती है, तो यह आदर्श वाक्य कहीं भी खोया जाता है।
India Pakistan war
इतिहास जो पीछा नहीं छोड़ता
1947 में दंगों की त्रासदी में दो देशों का जन्म हुआ, लेकिन साथ में दर्द, अपमान और अविश्वास भी था। दंगों के बाद से अब तक भारत और पाकिस्तान के बीच चार युद्ध हो चुके हैं, और सीमा पर तनाव की कोई नई बात नहीं है। ये घटनाएँ बार-बार हमें वो भयानक इतिहास की याद दिलाती हैं, जिन्हें हम कभी भुला नहीं पाते।
राजनीति और राष्ट्रवाद की आग
अक्सर देखा जाता है कि दोनों देशों के सरकारी या राजनीतिक दल, जनता की भावनाएं भड़काकर राष्ट्रीय के नाम पर वोट मांगते हैं। “दुश्मन देश” का नैरेटिव बनाना आसान है, लेकिन इसके परिणाम व्यापक और लंबे होते हैं। आम जनता के लिए कभी-कभी यह विचार का अवसर ही नहीं होता कि शांति भी एक विकल्प हो सकता है।
आम लोग क्या चाहते हैं?
दिलचस्प बात यह है कि जब भारत और पाकिस्तान के आम लोगों को किसी क्रिकेट मैच, साहित्य महोत्सव, या सोशल मीडिया के बंधन में मिलने का मौका मिलता है – तो एक-दूसरे के लिए आकर्षण और इंसानियत ही दिखती है। अपमान वहां नहीं होता, जहां संवाद होता है।
क्या कोई उम्मीद है?
हाँ, उम्मीद ज़रूर है—लेकिन यह नाजुक है। शांति की राह पर चलने के लिए ईमानदारी, विश्वसनीयता और प्रयास करना चाहिए। ईसाइयों में इतिहास को लोकप्रिय बनाना, मीडिया में नकारात्मकता कम करना, और कला-संस्कृति को बढ़ावा देना-ये कुछ कदम हैं जो “जियो और जीने दो” के दर्शन को संभव बना सकते हैं।

निष्कर्ष
भारत और पाकिस्तान के बीच “जियो और देश दो” एक संदेह लगता है, लेकिन यह असंभव नहीं है। यह मुश्किल जरूर है, लेकिन नामुम्किन नहीं। अगर आम लोग, ख़ासकर युवा, आगे ग्यान अपमान के चक्र को तोड़ें, तो शायद एक दिन यह मित्र देशों के भाग्य में सच्चाई बन जाए।