सारे ग्राहक चोर है
कहानी का शीर्षक: सारे ग्राहक चोर हैं?
रवि एक छोटा सा कैफे चलाता था। उसके कैफे की कॉफी और पेस्ट्रीज़ पूरे शहर में मशहूर थीं। लेकिन हाल ही में, रवि परेशान रहने लगा था। कभी-कभी ग्राहक ऑर्डर करने के बाद बिना पैसे दिए चले जाते थे, तो कभी कोई टिप देने का वादा कर गायब हो जाता। धीरे-धीरे रवि के मन में यह धारणा बन गई—”सारे ग्राहक चोर हैं।”
एक दिन, बारिश से भरी दोपहर में, एक साधारण-सा दिखने वाला आदमी कैफे में आया। उसके कपड़े भीगे हुए थे और चेहरे पर थकान झलक रही थी। उसने झिझकते हुए रवि से पूछा,
“भाईसाहब, क्या एक कप कॉफी मिल सकती है? पैसे अभी नहीं हैं, लेकिन कल दे जाऊंगा।”
सारे ग्राहक चोर है
रवि का चेहरा तमतमा गया। उसने सोचा, “फिर वही बात! लोग आते हैं, कहानी सुनाते हैं और पैसे दिए बिना चले जाते हैं।” रवि ने कड़वी मुस्कान के साथ जवाब दिया,
“माफ करिए, लेकिन यहाँ उधार नहीं मिलता। सारे ग्राहक एक जैसे हैं!”
वो आदमी मुस्कुराया और बिना कुछ कहे चला गया।
अगले दिन सुबह, रवि ने अपने कैफे के बाहर एक भीड़ देखी। सामने एक बड़ा बैनर टंगा था—
“शहर के मशहूर शेफ अर्जुन वर्मा आज इस कैफे का दौरा करेंगे।”
सारे ग्राहक चोर है
रवि हैरान रह गया। थोड़ी देर बाद वही साधारण-सा दिखने वाला आदमी, इस बार एक शानदार सूट में, मीडिया के साथ कैफे में दाखिल हुआ। रवि की आंखें फटी की फटी रह गईं। वो आदमी कोई और नहीं बल्कि शेफ अर्जुन वर्मा था—जिसकी रेसिपीज़ देशभर में मशहूर थीं।
अर्जुन मुस्कुराते हुए बोला,
“कल जब मैं यहाँ आया, तो मैं जानना चाहता था कि लोग अपने ग्राहकों के साथ कैसा व्यवहार करते हैं। रवि, तुम्हारे कैफे का स्वाद तो कमाल का है, लेकिन असली मिठास तो व्यवहार में होती है। अच्छा ग्राहक विश्वास पर बनता है, शक पर नहीं।”
रवि को अपनी गलती का एहसास हुआ। उसने झेंपते हुए माफी मांगी और अर्जुन को अपने हाथों से बनी कॉफी पेश की। अर्जुन ने एक घूंट लिया और मुस्कुराकर बोला,
“अब लगता है, यह कैफे सच में खास है।”
उस दिन के बाद, रवि ने अपनी सोच बदल दी। उसे समझ आ गया था—सारे ग्राहक चोर नहीं होते। कभी-कभी, बस एक कप कॉफी और थोड़े से भरोसे से बड़ी दोस्ती बन सकती है।
– समाप्त –
कैसी लगी कहानी?