बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…A horror telephone ring…

बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…
बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…
शाम का समय था। सूरज ढल चुका था, और बाहर अंधेरा घिरने लगा था। रिया अपने कमरे में बैठी चाय की चुस्की ले रही थी, जब अचानक टेलीफोन की घंटी बजी। यह कोई आम बात नहीं थी, क्योंकि वह लैंडलाइन फोन अक्सर खामोश ही रहता था।
बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…
अचानक आई कॉल
फोन की घंटी लगातार बज रही थी। रिया ने घड़ी की ओर देखा—रात के 11 बज रहे थे। आमतौर पर इस समय कोई कॉल नहीं करता। थोड़ी हिचकिचाहट के बाद, उसने रिसीवर उठाया।
“हैलो?” उसने धीमी आवाज़ में कहा।
सामने से कोई आवाज़ नहीं आई। बस हल्की-सी साँसों की आवाज़ सुनाई दी। रिया को कुछ अजीब लगा, लेकिन उसने सोचा कि शायद नेटवर्क की समस्या होगी। उसने रिसीवर रख दिया और वापस अपने बिस्तर पर आ गई।
फोन की घंटी फिर बजी
कुछ ही मिनट बाद, फिर से वही टेलीफोन बज उठा। इस बार रिया का दिल ज़ोर से धड़कने लगा। उसने दोबारा फोन उठाया।
“हैलो… कौन है?” उसने घबराई हुई आवाज़ में पूछा।
इस बार दूसरी तरफ़ से एक धीमी, ठंडी आवाज़ आई—”रिया… दरवाजा मत खोलना…”
डर और सन्नाटा
रिया के शरीर में एक सिहरन दौड़ गई। उसने तेजी से खिड़की की ओर देखा, लेकिन बाहर घना अंधेरा था। पूरे घर में सन्नाटा पसरा था, बस घड़ी की टिक-टिक की आवाज़ आ रही थी।
उसने तुरंत फोन काट दिया और अपने माता-पिता को बुलाने के लिए दौड़ी, लेकिन जैसे ही वह दरवाजे तक पहुँची, फोन फिर से बज उठा। इस बार उसकी रिंगटोन और भी तेज़ और डरावनी लग रही थी।
रहस्य का पर्दा उठता है
इस बार जब उसने फोन उठाया, तो दूसरी तरफ़ वही ठंडी आवाज़ थी—”रिया, पीछे देखो…”
रिया की सांसें थम गईं। धीरे-धीरे उसने अपनी गर्दन मोड़ी और जो उसने देखा, वह उसकी कल्पना से भी परे था…
बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…
—
क्या था रिया के पीछे? कौन कर रहा था उसे कॉल? क्या यह कोई मज़ाक था या सच में कोई खतरनाक साज़िश?
“बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…”
रात के 12 बजने वाले थे। पूरा शहर गहरी नींद में डूबा था, लेकिन रिया की आँखों से नींद कोसों दूर थी। वह अपने कमरे में बैठी एक पुरानी किताब पढ़ रही थी, जब अचानक टेलीफोन की घंटी बजी।
उसके दिल की धड़कन तेज़ हो गई। इस समय कौन कॉल कर सकता है? उसके माता-पिता कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गए थे, और वह घर में अकेली थी।
“हैलो?” रिया ने धीमी आवाज़ में कहा।
दूसरी तरफ़ सन्नाटा था। सिर्फ़ हल्की साँसों की आवाज़ सुनाई दी।
“हैलो? कौन है?”
तभी एक फुसफुसाती आवाज़ आई—”रिया… दरवाज़ा मत खोलना…”
डरावनी रात की शुरुआत
रिया के हाथ-पैर ठंडे पड़ गए। वह घबराकर इधर-उधर देखने लगी। दरवाज़ा बंद था, खिड़कियों पर पर्दे पड़े थे। उसने फोन काट दिया और खुद को दिलासा दिया कि यह कोई मज़ाक होगा।
लेकिन कुछ ही सेकंड बाद, फोन फिर से बज उठा।
“रिया… मैं तुम्हारे घर के अंदर हूँ…”
अब रिया के होश उड़ चुके थे। उसने धीरे-धीरे अपनी गर्दन मोड़ी और कमरे के कोने की ओर देखा। हल्की चांदनी में उसे एक परछाईं दिखी—कोई खड़ा था, बस कुछ ही कदम दूर…
कमरे में मौजूद कोई अनजान साया
रिया की साँसे रुक गईं। उसने हिम्मत जुटाकर पूछा, “तुम… कौन हो?”
कोई जवाब नहीं आया। बस हल्की हंसी की आवाज़ गूंजने लगी—एक अजीब, ठंडी और डरावनी हंसी।
अचानक, कमरे की लाइट बंद हो गई। घुप्प अंधेरे में वह कुछ भी नहीं देख पा रही थी। उसका दिल इतनी तेज़ धड़क रहा था कि उसे लग रहा था कि वह फट जाएगा।
फोन की घंटी फिर से बजी, लेकिन इस बार आवाज़ बहुत ज़्यादा डरावनी थी। रिंगटोन की आवाज़ घर के हर कोने से गूंजने लगी, जैसे कोई उसे चारों ओर से घेर रहा हो।
रहस्य की सच्चाई
रिया काँपते हुए अपने मोबाइल की टॉर्च ऑन करने लगी, लेकिन तभी एक ठंडी साँस उसके कान के पास महसूस हुई।
“तुमने फोन क्यों उठाया, रिया?”
रिया ने चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन आवाज़ उसके गले में ही अटक गई।
सुबह जब पड़ोसी उसके घर आए, तो दरवाज़ा अंदर से बंद था। बार-बार कॉल करने पर भी कोई जवाब नहीं मिला। जब दरवाज़ा तोड़ा गया, तो रिया अपने कमरे में थी—अचेत, आँखें खुली हुई, और उसके हाथ में रिसीवर अब भी रखा था।
लेकिन फोन लाइन… कटी
“बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…” (भाग 2)
सुबह पड़ोसी जब दरवाज़ा तोड़कर अंदर आए, तो रिया अपने कमरे में बेसुध पड़ी थी। उसकी आँखें खुली थीं, लेकिन उनमें एक अजीब सा डर था। उसका हाथ अब भी टेलीफोन के रिसीवर पर था, लेकिन फोन लाइन पूरी तरह कटी हुई थी।
डॉक्टर ने बताया कि वह गहरे सदमे में है। उसे अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वह किसी से बात नहीं कर रही थी। बस शून्य में घूरती रही।
अस्पताल में अजीब घटनाएँ
रिया को अस्पताल में भर्ती हुए दो दिन हो गए थे, लेकिन उसकी हालत में कोई सुधार नहीं था। डॉक्टरों ने उसे मनोवैज्ञानिक उपचार देने की कोशिश की, लेकिन हर बार जब कोई उससे कुछ पूछता, तो वह सिर्फ एक ही शब्द दोहराती—
“फोन… फोन…”
तीसरी रात, नर्स ने उसे अकेले कमरे में छोड़ दिया। तभी कमरे में रखा टेलीफोन अचानक खुद ही बज उठा।
नर्स चौंक गई—अस्पताल में उस टेलीफोन की लाइन बंद थी! लेकिन फोन की घंटी लगातार बज रही थी।
डरते-डरते नर्स ने रिसीवर उठाया, लेकिन उधर से कोई आवाज़ नहीं आई। बस एक हल्की साँस लेने की आवाज़ थी।
तभी, रिया जो अब तक बेहोश थी, अचानक उठ बैठी और चिल्लाई—
“मत उठाओ! वो आ जाएगा!”
रहस्य और गहराता गया
रिया की चीख सुनकर अस्पताल के बाकी लोग दौड़कर आए। जैसे ही उन्होंने कमरे में प्रवेश किया, फोन अचानक बंद हो गया।
डॉक्टरों ने समझा कि यह रिया के दिमाग का वहम है, लेकिन एक बात सभी को चौंका गई—रिया के बिस्तर पर किसी ने खून से लिखा था: “तुमने फोन क्यों उठाया?”
लेकिन कमरे में कहीं भी कोई नहीं था।
टेलीफोन का रहस्य
रिया के घर की छानबीन करने पर पुलिस को कुछ चौंकाने वाले तथ्य मिले।
घर में जिस टेलीफोन से कॉल आई थी, वह पिछले 5 सालों से बंद पड़ा था।
रिकॉर्ड के अनुसार, जिस नंबर से कॉल आई थी, वह 10 साल पहले मर चुके एक व्यक्ति के नाम पर रजिस्टर था।
और सबसे डरावनी बात—रिया के कमरे के कोने में फर्श पर पुराने खून के धब्बे मिले, जो शायद कई साल पुराने थे।
रिया अब भी अस्पताल में थी। वह अब ज्यादा नहीं बोलती थी, बस टेलीफोन की ओर देखती रहती थी।
अंत या नई शुरुआत?
उस रात के बाद से, अस्पताल में जो भी नर्स या डॉक्टर रिया के कमरे में जाता, उसे कभी-कभी रात के 12 बजे फोन की घंटी सुनाई देती। लेकिन जब वे रिसीवर उठाते, तो उधर से सिर्फ एक ही आवाज़ आती—
“तुमने फोन क्यों उठाया?”
(अगला भाग जल्द ही… क्या आप जानना चाहेंगे कि रिया के साथ आगे क्या हुआ?
“बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…” (भाग 3)
अस्पताल में अब अजीब घटनाएँ और बढ़ने लगी थीं। कई नर्सों और डॉक्टरों ने दावा किया कि रिया के कमरे में रात के 12 बजे खुद-ब-खुद फोन बजता है। लेकिन जब रिकॉर्ड चेक किया गया, तो किसी भी कॉल का कोई लॉग नहीं था।
सबसे डरावनी बात यह थी कि कुछ स्टाफ़ को रात में अजीब परछाइयाँ दिखतीं और ठंडी साँसों की आवाज़ सुनाई देती। धीरे-धीरे, लोग रिया के कमरे में जाने से डरने लगे।
डरावनी रात का सच
एक रात, अस्पताल के एक युवा डॉक्टर, रोहन, ने तय किया कि वह इस रहस्य से पर्दा उठाएगा। उसने रिया के कमरे में कैमरा लगा दिया और खुद वहाँ रुकने का फैसला किया।
रात के 12 बजते ही, टेलीफोन की घंटी बज उठी।
रिया अचानक जाग गई, उसकी आँखें काली पड़ गईं, और वह भयानक आवाज़ में बोली—”वो आ गया…”
डॉक्टर रोहन ने हिम्मत जुटाकर रिसीवर उठाया।
दूसरी तरफ़ से एक अजीब, फुसफुसाती हुई आवाज़ आई—”तुमने फोन क्यों उठाया, रोहन?”
कैमरे में कैद हुआ डरावना नज़ारा
डॉक्टर घबरा गया, लेकिन उसने फोन नहीं काटा। तभी कमरे में ठंडी हवा चलने लगी, और अस्पताल की लाइटें झपकने लगीं।
तभी कैमरे ने रिकॉर्ड किया—रिया के पीछे एक काली, धुंधली परछाई उभर रही थी!
डॉक्टर रोहन को लगा कि कोई उसका गला घोंट रहा है। उसकी आँखें लाल हो गईं, और वह ज़मीन पर गिर पड़ा।
अचानक, फोन अपने आप कट गया, और कमरा फिर से शांत हो गया।
अस्पताल छोड़कर भागे लोग
सुबह जब बाकी स्टाफ़ आया, तो डॉक्टर रोहन ज़मीन पर बेहोश पड़ा था। रिया फिर से बेसुध हो चुकी थी।
लेकिन सबसे डरावनी बात?
कमरे के दीवार पर खून से लिखा था—”अगला कौन?”
उस दिन के बाद, अस्पताल के कर्मचारियों ने रिया के कमरे में जाने से मना कर दिया। कुछ ही दिनों में, रिया को किसी अनजान मानसिक अस्पताल में भेज दिया गया, और उसके पुराने घर को बंद कर दिया गया।
लेकिन कहते हैं, उस अस्पताल में आज भी, आधी रात को फोन की घंटी बजती है… और अगर कोई रिसीवर उठाता है, तो उसे दूसरी तरफ़ से सिर्फ एक ही सवाल सुनाई देता है—
“तुमने फोन क्यों उठाया?”
“बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…” (भाग 4 – अंतिम अध्याय)
रिया को एक मानसिक अस्पताल में भर्ती कर दिया गया। उसे नींद की दवाएँ दी जाती थीं, लेकिन वह अक्सर रात में अचानक उठकर एक ही बात दोहराती—
“फोन मत उठाना… फोन मत उठाना…”
अस्पताल के डॉक्टर्स समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर यह सब क्या है। लेकिन कुछ ही दिनों में, अजीब घटनाएँ फिर से शुरू हो गईं।
फोन जिसने एक और जान ले ली
एक रात, अस्पताल की नई नर्स, सुमन, ने गलती से रिया के कमरे में रखा पुराना टेलीफोन उठा लिया।
जैसे ही उसने “हैलो” कहा, दूसरी तरफ़ से वही डरावनी फुसफुसाती आवाज़ आई—
“तुमने फोन क्यों उठाया?”
सुमन के चीखने की आवाज़ पूरे अस्पताल में गूँज उठी। जब बाकी स्टाफ़ दौड़कर कमरे में पहुँचा, तो सुमन ज़मीन पर पड़ी थी—उसकी आँखें सफ़ेद हो चुकी थीं, और उसका चेहरा डर से विकृत हो गया था।
लेकिन कमरे में कोई नहीं था… सिर्फ़ फोन का रिसीवर ज़मीन पर गिरा हुआ था।
भूतिया फोन की सच्चाई
अब अस्पताल के डायरेक्टर ने एक तांत्रिक को बुलाने का फैसला किया। जब तांत्रिक ने जांच शुरू की, तो उसने कहा—
“यह सिर्फ़ एक आत्मा नहीं है… यह एक शाप है!”
उसने बताया कि यह टेलीफोन रिया के पुराने घर से जुड़ा था, जहाँ सालों पहले किसी ने खुद को मार लिया था। वह आत्मा हर उस इंसान को मार रही थी, जिसने उस फोन को उठाया।
आखिरी अनुष्ठान
तांत्रिक ने उस फोन को जलाने की सलाह दी।
रात के ठीक 12 बजे, अस्पताल के मैदान में हवन किया गया, और उस फोन को जलाने की कोशिश की गई। जैसे ही आग लगी, अस्पताल की सारी लाइटें बंद हो गईं।
हवा में एक भयानक चीख गूँजी—”तुम सबको मरना होगा!”
एक पल के लिए सबको लगा कि अब वे नहीं बचेंगे, लेकिन तांत्रिक ने मंत्रों का जाप जारी रखा। कुछ ही देर में, आग की लपटें भड़क उठीं, और फोन राख में बदल गया।
अंतिम शांति?
रिया धीरे-धीरे सामान्य होने लगी। उसने अब फोन के बारे में बोलना बंद कर दिया था। अस्पताल में भी कोई अजीब घटना नहीं हुई।
लेकिन…
एक साल बाद, एक नए शहर में, एक छोटे से घर में, एक पुराने टेलीफोन की घंटी अचानक बज उठी।
जिसने फोन उठाया, उसने सुना—
“तुमने फोन क्यों उठाया?”
- (समाप्त)

बहुत ही खतरनाक होता है टेलीफोन की रिंग…