खेल से जुआ तक – Gambling

खेल से जुआ तक: कब और कैसे हुआ यह बदलाव?
खेलों का जन्म मनोरंजन, स्वास्थ्य और प्रतिस्पर्धा के लिए हुआ था। लेकिन समय के साथ, जब इसमें पैसा और सट्टा जुड़ने लगा, तो खेल एक बिज़नेस बन गया और कुछ मामलों में “जुआ” का रूप ले लिया। सवाल यह है कि खेल, जो कभी सिर्फ जुनून और खेलभावना के लिए खेला जाता था, आज सट्टेबाजी और फिक्सिंग का शिकार कैसे हुआ? आइए इस पर चर्चा करते हैं।
1. जब खेल सिर्फ खेल था
प्राचीन समय में खेलों का आयोजन शारीरिक फिटनेस, मनोरंजन और युद्ध कौशल बढ़ाने के लिए किया जाता था। ग्रीस में ओलंपिक गेम्स और भारत में मल्लयुद्ध, कबड्डी, और शतरंज जैसी खेल गतिविधियाँ मुख्य रूप से शारीरिक और मानसिक विकास के लिए होती थीं।
लेकिन बदलाव कब आया?
2. जब खेलों में पैसा आया
- खेलों में कमर्शियलाइजेशन तब शुरू हुआ जब बिजनेस हाउसेस और सरकारें इसमें पैसा लगाने लगीं।
- जैसे-जैसे खेलों का प्रसार हुआ, टेलीविज़न, विज्ञापन और टिकट बिक्री से इसमें भारी कमाई होने लगी।
- खिलाड़ियों को प्रोफेशनल ट्रेनिंग और हाई सैलरी मिलने लगी।
लेकिन जहां पैसा आता है, वहां “जुआ” और “सट्टा” भी घुसने लगता है।
3. खेलों में जुए और सट्टेबाजी की एंट्री
खेल जब ग्लोबल स्तर पर फेमस हुए, तो सट्टेबाजी और फिक्सिंग का बाजार भी तेजी से बढ़ा।
क्रिकेट में सट्टेबाजी और फिक्सिंग
- 2000 में हंसी क्रोन्ये (दक्षिण अफ्रीका) का मैच फिक्सिंग स्कैंडल सामने आया।
- 2013 में IPL स्पॉट फिक्सिंग में कई खिलाड़ियों और टीमों के नाम आए।
- मैचों में फिक्सिंग के लिए बुकीज़ खिलाड़ियों को करोड़ों रुपये तक ऑफर करते हैं।
फुटबॉल में जुआ
- यूरोपियन फुटबॉल लीग्स में स्पोर्ट्स बेटिंग लीगल है, लेकिन इसमें भी कई बार फिक्सिंग के आरोप लगे हैं।
- 2006 में इटली के क्लब जुवेंटस को मैच फिक्सिंग के कारण लीग से बाहर कर दिया गया था।
कुश्ती और बॉक्सिंग में भी सेटअप?
- बॉक्सिंग और WWE जैसे खेलों में पहले से स्क्रिप्टेड रेसलिंग के आरोप लगते रहे हैं।
- कुछ बॉक्सिंग मैचों में फाइटर्स को पैसे देकर मैच हराने की खबरें भी आई हैं।
4. ऑनलाइन बेटिंग और जुए का खेल
आजकल ऑनलाइन सट्टा और फैंटेसी गेम्स (जैसे Dreams) ने खेल और जुए के बीच की लाइन को और धुंधला कर दिया है।
- लोग अब सिर्फ खेल नहीं देखते, बल्कि इसमें पैसा लगाते हैं।
- क्रिकेट, फुटबॉल, टेनिस—हर खेल में ऑनलाइन बेटिंग कंपनियां जमकर मुनाफा कमा रही हैं।
5. खेल और जुए के बीच का अंतर मिटता जा रहा है
अब सवाल यह है कि क्या खेल सिर्फ एक मनोरंजन का माध्यम रह गया है, या यह पूरी तरह से एक बिजनेस बन चुका है?
- पहले: खेल भावना, सम्मान, देशप्रेम
- अब: पैसा, पावर, सट्टेबाजी
अगर खेलों को असली रूप में बनाए रखना है, तो सट्टेबाजी और फिक्सिंग पर सख्त नियंत्रण जरूरी है।
आपका क्या विचार है – क्या खेलों में सट्टेबाजी को लीगल कर देना चाहिए या इसे पूरी तरह बैन कर देना चाहिए? अपनी राय कमेंट में बताइए!