इस जगत में कोई अपना नहीं – There is no one of our own in this world.

  • इस जगत में कोई अपना नहीं

इस जगत में कोई अपना नहीं

 

There is no one of our own in this world

जीवन एक यात्रा है, जिसमें हम अनगिनत लोग मिलते हैं। कुछ हमारे साथ कुछ समय के लिए होते हैं, तो कुछ हमेशा के लिए दूर चले जाते हैं। जब हम किसी के करीब होते हैं, तो ऐसा लगता है कि वे हमारे अपने हैं, लेकिन समय और परिस्थितियाँ भिन्न होती हैं, यह भ्रम टूट जाता है। धीरे-धीरे यह अहसास होता है कि इस दुनिया में असल में कोई अपना नहीं होता।

इस जगत में कोई अपना नहीं

रिश्ते की हकीकत

 

बचपन से ही हमें रिश्ते की खासियत बताई जाती है। माता-पिता, भाई-बहन, दोस्त, नागालैण्ड—सभी से हमारा एक संबंध होता है। लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, हमें ऐसा लगता है कि ज्यादातर पर आधारित होते हैं। जब तक हम किसी के लिए चमत्कारी होते हैं, तब तक हमें जरूरी है। लेकिन जैसे ही हम किसी के लिए उपयोगी नहीं रहते, लोग दूर होने की सलाह देते हैं।

 

माता-पिता और संतान का संबंध

 

माता-पिता अपने बच्चों से अपार स्नेह करते हैं और उनकी मुलाकात में अपना सब कुछ न्योछावर कर देते हैं। लेकिन जैसे ही बच्चे बड़े होते हैं और अपनी दुनिया में शामिल हो जाते हैं, माता-पिता उनके लिए एक जिम्मेदारी बन जाते हैं। आजकल वृद्धाश्रमों की भारी संख्या यह सच्चाई बताई गई है। माता का यह प्रश्न है कि आपके पिता-पुत्र में क्या दोष है?

 

दोस्ती और नौकर

 

कहते हैं, “सच्चा दोस्त वही है जो समय में साथ दे।” लेकिन वास्तविकता तो यह है कि जब तक हम खुशहाल होते हैं, हमारे चारों ओर मित्र बने रहते हैं। जैसे ही कठिनाइयाँ आती हैं, ज्यादातर दोस्त साथ छोड़ देते हैं। यह सिद्ध होता है कि अधिकांश मित्रता स्वामी पर आधारित होती है।

 

प्रेम प्रसंग की सच्चाई

 

प्रेम को सबसे पवित्र रिश्ता माना जाता है, लेकिन ज्यादातर प्रेम कहानियां भी फ्रेम-गिर्द घूमती हैं। जब तक परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, प्रेम बना रहता है। लेकिन जैसे ही कठिनाइयाँ आती हैं, वे लोग अलग-अलग होने के ढूँढने लगते हैं।

 

इतिहास और धर्मग्रंथों से प्रमाण

 

महाभारत से सीखे

इस जगत में कोई अपना नहीं

महाभारत इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है कि इस दुनिया में किसी का भी नहीं होता। कर्ण को जन्म से ही अस्वीकार कर दिया गया था, लेकिन उसने अपने मित्र दुर्योधन के प्रति सच्चे मित्र की भूमिका निभाई। लेकिन जब उनका अंत नजदीक आया, तब उनके साथ कोई भी जानकारी नहीं थी। यही सच्चाई है कि जब तक परिस्थितियां अनुकूल होती हैं, लोग आपके साथ होते हैं, लेकिन इसके विपरीत सभी परिस्थितियां दूर हो जाती हैं।

 

भगवान बुद्ध का संदेश

 

बुद्ध ने सिखाया कि संसार में भगवान का कोई स्थान नहीं है, उनका कोई भी संबंध स्थिर नहीं है। मोह और माया के कारण हम यह भ्रम पाल लेते हैं कि लोग अपने हैं, लेकिन जब सत्य का बोध होता है, तो हमें समझ आता है कि हम अकेले ही अपने जीवन का मार्ग तय करना चाहते हैं।

 

क्या वास्तव में कोई अपना नहीं है?

 

यह विचार ध्वनि में नकारात्मक लग सकता है, लेकिन यदि इसकी गहराई से समझा जाए, तो यह हमें मानसिक शांति की ओर ले जाता है। जब हम यह स्वीकार कर लेते हैं कि दुनिया में कोई प्रतिष्ठित रूप से अपना नहीं है, तब हम लोगों से क्षमताएं रखना छोड़ देते हैं। ये जरूरी हैं हमारे दुख का कारण बनते हैं। जब हम आत्मनिर्भर बन जाते हैं और खुद को ही अपना सबसे अच्छा दोस्त मान लेते हैं, तब जीवन में सच्ची शांति आती है।

 

मोह-माया से मुक्त जीवन का रास्ता

 

आत्मनिर्भरता – किसी और से अपनेपन की उम्मीद करने के बजाय खुद को मजबूत बनाएं।

 

बिना किसी विशिष्टता के प्रेम करना सीखें। जब आप बदले में कुछ नहीं चाहते, तो दुःख भी नहीं होता।

 

सत्य को स्वीकार करें – यह समझ लें कि कोई भी संबंध निर्धारित नहीं होता है।

 

आध्यात्मिकता अपनाएँ – ध्यान, योग और अध्यात्म से जुड़ें ताकि मानसिक शांति प्राप्त हो सके।

 

सकारात्मक सोच।इस जगत में कोई अपना नहीं

इस जगत में कोई अपना नहीं

निष्कर्ष

 

इस दुनिया में कोई भी हमेशा के लिए अपना नहीं होता। संबंध, मित्रता, प्रेम—सब कुछ पर प्रतिबंध है। यदि हम इस सत्य को समझ लें और खुद को मजबूत बना लें, तो जीवन अधिक सरल और तरल हो जाएगा। अपनापन बाहरी दृश्यों के बजाय, उसे अंदर की ओर देखें, क्योंकि अंततः आप केवल अपने ही शिष्य हैं।

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